अतीत काल के द्रिस्तावत से
हम सब ने जाना है .
हिन्दी ही वह पवित्र भाषा है
जिसे गाँधी सुभाष ने जाना है .
हिन्दी के अविरोध का
अब ध्यान हमें ही रखना है
हिन्दी को ही राष्ट्र भाषा का ,
व्यापक दर्जा देना है
फैलाकर कोने कोने में
उसको बहुत बढ़ाना है
हिन्दी में ही सभी काम केर
वासर उसे ही बनाना है
नीलम प्रसाद चौधरी
सिविल इंजीनियरिंग तृतीय वर्ष
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