Wednesday, October 1, 2008

हिन्दी दिवश

सर्वप्रथम कर्तव्य है ,
हिन्दी का बंदें देश में .
हिन्दी बिना ही पड़े हुए हैं
आज सब क्लेश में .
हिन्दी को राष्ट्र भाषा का
दर्जा तो हमने दे दिया
कल्पना की आग में ,
झोंक हमने उसको दिया
हिन्दी की उपयोगिता का
उस समय हमको ध्यान था .
आज ओझल हो गया है ,
हिन्दी का बंदन देश में
हिन्दी बिना ही पड़े हुए हैं
आज हम सब क्लेश में...

नीलम प्रसाद चौधरी
सिविल इंजीनियरिंग तृतीय वर्ष

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